Islamic religious leaders can marry: इस्लाम धर्म एक ऐसा मजहब जिसके अनुयायियों की संख्या दुनियाभर में है. इस्लाम को मानने वाले लोग 'अल्लाह' को मानते हैं. इस्लाम धर्म में जीवन निर्वाह करने के लिए कई नियम कायदे बनाए गए हैं, जिसका पालन हर मुसलमान करता है. इस्लाम धर्म में हर किसी को शादी करने की सलाह दी जाती है. ऐसे में एक सवाल क्या मुस्लिम धर्म गुरुओं को शादी करने की इजाजत है? जानते हैं. इसके बारे में. 


मुस्लिम धर्म में कई धार्मिक पद होते हैं, जिनमें इमाम, मौलाना, मुफ्ती और काजी जैसे अहम पद शामिल है. कई बार आम जनता में और इनमें अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है. ज्यादातर लोगों को इनका क्या काम है? इसको समझने में मुश्किल होती है. आज हम इन्हीं धर्म गुरुओं और उनके कामों का जिक्र करेंगे. इसके साथ ही हम ये भी जानेंगे की इस्लाम इन्हीं शादी करने की इजाजत देता है या नहीं.


इस्लाम में धर्म गुरु
हम सभी ने इमाम, मौलवी, मुफ्ती और काजी जैसे शब्द अपने आस पास कभी न कभी सुने होंगे. इस्लाम धर्म में इन सभी लोगों का अपना महत्व होता है. जिसमें सबसे पहले इमाम के बारे में जानते हैं. मुस्लिम धर्म में इमाम मस्जिद से जुड़ा हुआ एक व्यक्ति होता है. जिसका काम मस्जिद में 5 वक्त की नमाज अदा कराना, खास मौकों पर धार्मिक भाषण देने के साथ कुरान या हदीस के अनुसार लोगों को जीवन जीने का सही तरीका बताना है.


वहीं इस्लाम धर्म में मौलाना या मौलवी का अर्थ, धार्मिक विद्वान होता है. मौलाना लोगों को कुरान, हदीस और शरीयत की शिक्षा देने के साथ निकाह और जनाजों में धार्मिक कार्यों का संचालन करता है. इसके साथ ही मदरसों में पढ़ाने के साथ इस्लाम के उपदेश देने का काम भी मौलाना करता है.


इस्लाम धर्म में मुफ्ती सबसे बड़ा ज्ञानी
इस्लाम धर्म में मुफ्ती को सबसे बड़ा ज्ञानी माना जाता है. इस्लाम धर्म में मुफ्ती का पद एक उच्च और दायित्व वाला पद होता है. मुफ्ती ही फतवा यानी 'धर्म से जुड़े' निर्णय जारी करता है. मुफ्ती इस्लामिक कानून 'शरीयत' के अनुसार लोगों की समस्या को हल करता है. इसके साथ ही कुरान, हदीस, इज्मा और कियास के आधार पर फतवा जारी करता है. इस्लाम धर्म में मुफ्ती बनने के लिए मौलाना स्तर की शिक्षा प्राप्त करनी होती है. इसके साथ ही 'दरस-ए-निज़ामी' जैसे पाठ्यक्रमों को पढ़ना होता है. 


इसके साथ ही इस्लाम धर्म गुरुओं में काजी की भूमिका भी अहम मानी जाती है. काजी को शरीयत का न्यायाधीश कहा जाता है. काजी का काम इस्लामिक न्याय के आधार पर मसले को हल करना होता है. तलाक, निकाह या विरासत जैसे मामलों में निर्णय देता है. इस्लाम धर्म में काजी को न्यायिक अधिकार प्राप्त होते हैं. 


इस्लामिक धर्म गुरु कर सकते हैं निकाह?
ऐसे में एक सवाल जो ये कि क्या इस्लाम धर्म में मुस्लिम गुरुओं को शादी करने की इजाजत होती है या नहीं. तो इसके बारे में हम आपको बता दें कि इस्लाम धर्म में साधु-संन्यासी या पूरे जीवन ब्रह्मचर्य का कोई नियम नहीं है. इसके साथ ही इस्लाम में किसी भी धार्मिक पुरुष या महिला को आजीवन अविवाहित रहने की आवश्यकता नहीं है. इस्लाम में सभी मुसलमानों को शादी करने की इजाजत होती है.