India-Iraq Relations: विदेश मंत्रालय (MEA) ने सोमवार (27 जनवरी ) को घोषणा की कि भारत ने इराक के कुर्दिस्तान क्षेत्र में मानवीय सहायता की एक खेप भेजी है. इस खेप में ब्रोन्कोडायलेटर्स, इनहेलर्स और वेंटिलेटर शामिल हैं, जो जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं में मदद करेंगे.


MEA ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "विश्वबंधु भारत: भारत ने इराक को मानवीय सहायता भेजी है. इराक के कुर्दिस्तान क्षेत्र में लोगों की सहायता के लिए ब्रोन्कोडायलेटर्स, इनहेलर्स और वेंटिलेटर से युक्त एक खेप नई दिल्ली से रवाना हुई है."


भारत-इराक संबंध
भारत और इराक के बीच ऐतिहासिक और सिविलाइजेशनल संबंध हैं. भारत लंबे समय से इराक के पुनर्निर्माण और विकास में सहायता कर रहा है. बता दें कि इराक में युद्ध छिड़ने के बाद से भारत एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक, बहुलवादी,फेडरल और यूनिफाइड इराक का समर्थन करता रहा है.


2003 में सहायता
2003 में इराक में युद्ध के दौरान, भारत ने 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता देने का वचन दिया था. विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के तहत दूध पाउडर की आपूर्ति की. इराकी अधिकारियों को कूटनीति और सूचना प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण दिया.






स्कूली बच्चों और शरणार्थियों की मदद


भारत ने इराकी स्कूली बच्चों और सीरिया में इराकी शरणार्थियों को फोर्टिफाइड बिस्कुट प्रदान किए. इराक के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण निधि सुविधा (IRFFI) में 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान. बता दें कि 2018 में कुवैत सम्मेलन में विदेश राज्य मंत्री एम.जे. अकबर ने भारत का प्रतिनिधित्व किया और इराक के पुनर्निर्माण में भारत की भागीदारी का संकेत दिया.


भारत ने न केवल आर्थिक बल्कि तकनीकी सहायता के रूप में भी इराक का सहयोग किया. अप्रैल 2022 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र जांच दल (UNITAD) को 200,000 अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया. जिसका उद्देश्य आईएसआईएल की ओर से रासायनिक और जैविक हथियारों के विकास की जांच और सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों पर हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाना था.



यह भी पढ़ेंः बेलारूस में 30 साल से राज कर रहा यूरोप का आखिरी तानाशाह, चुनाव में फिर से जीतना तय, पुतिन की दोस्ती से नाटो को टेंशन