बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने भारत पर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर स्वतंत्र विकल्प दिया जाए तो भारत शेख हसीना को अपने पास रखेगा और उन्हें बांग्लादेश वापस नहीं भेजेगा. यूनुस का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत ने कुछ दिन पहले कहा था कि अवामी लीग नेता शेख हसीना से जुड़े मामले कानूनी नेचर के हैं और इस पर भारत-बांग्लादेश के बीच परामर्श की आवश्यकता है.
यूनुस ने अपने इंटरव्यू में कहा कि भारत हमेशा से शेख हसीना का समर्थन करता रहा है और अगर कोई कानूनी बाध्यता नहीं हुई तो वे उन्हें अपने पास ही रखेंगे. गौरतलब है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग प्रमुख शेख हसीना को पिछले साल बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद सत्ता छोड़नी पड़ी थी. उनके पद से हटने के बाद मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया. हसीना के खिलाफ कई भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप हैं. बांग्लादेश सरकार ने उनका प्रत्यर्पण (Extradition) भारत से मांगा है, लेकिन अब तक भारत ने इस पर कोई औपचारिक कदम नहीं उठाया है.
I asked interim Bangladeshi leader and Nobel Peace Laureate Muhammad Yunus about accusations of anti-Hindu violence in his country since the revolution that forced out the Hasina government.
Watch his response below, and the full interview here:https://t.co/vQGDaoyk89 pic.twitter.com/MX7UEiZsDo
— Mehdi Hasan (@mehdirhasan) October 2, 2025
ब्रिटिश-भारतीय पत्रकार मेहदी हसन
मोहम्मद यूनुस ने ब्रिटिश-भारतीय पत्रकार मेहदी हसन को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर भारत चाहे तो वह शेख हसीना को अपने पास रख सकता है. मैं उन्हें यह नहीं बता सकता कि वे उनके साथ क्या करें, लेकिन उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे बांग्लादेश या हमारे लोगों के बारे में बात न करें. उन्होंने कहा कि कुछ बाहरी ताकतें शेख हसीना को बांग्लादेश वापस लाने में मदद कर रही हैं, ताकि वे एक विजयी नेता की तरह लौटें.
भारत के साथ रिश्तों पर यूनुस का संकेत
मोहम्मद यूनुस का बयान भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए राजनीतिक रूप से संवेदनशील माना जा रहा है. उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से अवामी लीग और शेख हसीना सरकार के साथ खड़ा रहा है. इसलिए मौजूदा सरकार को भारत से तटस्थ व्यवहार की उम्मीद है. भारत ने अब तक शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर कोई ठोस रुख नहीं अपनाया है. नई दिल्ली का कहना है कि यह कानूनी मामला है, जो न्यायिक प्रक्रिया के तहत तय होगा. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यूनुस के इस बयान से भारत और बांग्लादेश के बीच राजनयिक तनाव बढ़ सकता है. खासकर तब जब दोनों देश पहले से ही सीमा सुरक्षा, रोहिंग्या शरणार्थी और जल विवाद जैसे मुद्दों पर संवेदनशील दौर से गुजर रहे हैं.
हिंदू समुदाय पर हिंसा की खबरों को बताया फर्जी
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर बढ़ते हमलों की रिपोर्ट्स पर मोहम्मद यूनुस ने प्रतिक्रिया दी और उन्हें फर्जी खबरें बताया. उन्होंने कहा कि ऐसी खबरें भारत में फैलाई जा रही फेक न्यूज कैंपेन का हिस्सा हैं. यूनुस ने कहा, ''जब मैं हिंदू समुदाय के नेताओं से मिलता हूं तो मैं उनसे कहता हूं, खुद को केवल हिंदू के रूप में मत देखो, बल्कि एक नागरिक के रूप में देखो. आप इस देश के हैं, इसलिए राज्य की पूरी सुरक्षा के हकदार हैं.” उन्होंने आगे कहा कि कई बार स्थानीय विवादों को धार्मिक हिंसा का रूप दे दिया जाता है.
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