पहले टैरिफ और अब H-1B वीजा पर ट्रंप प्रशासन के फरमान के बाद भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं. इस बीच अमेरिका के डेमोक्रेट सांसद अमी बेरा ने ट्रंप प्रशासन की नीतियों पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि इस कदम के पीछे ट्रंप के व्यापार सहयोगी पीटर नवारो हैं.


अमेरिकी कंपनियों को ही होगा नुकसान: अमी बेरा


इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में डेमोक्रेटिक सांसद ने कहा कि वे H-1B वीजा पॉलिसी का समर्थन नहीं करते हैं क्योंकि अगले कुछ सालों में इससे अमेरिकी कंपनियों को ही नुकसान होगा. उन्होंने कहा, "हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय कर्मचारी ही अमेरिका में बड़े-बड़े पदों पर बने हुए हैं. इस पॉलिसी का असर ट्रंप प्रशासन के भीतर भी देखने को मिल रहा है."


'H1-B वीजा पॉलिसी के पीछे ट्रंप के खास पीटर नवारो का हाथ'



अमेरिका डेमोक्रेटिक सांसद अमी बेरा ने H-1B वीजा पॉलिसी को लेकर ट्रंप प्रशासन से स्पष्टता की मांग की. उन्होंने इस पॉलिसी के पीछे पीटर नवारो हाथ होने का आरोप लगाया. अमी बेरा ने कहा कि अगर इस तरह की कोई पॉलिसी लागू करनी ही थी तो पहले जानकारी या चेतावनी दे देनी थी. उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि इस तरह की नीति पीटर नवारो की प्लानिंग होगी.


'नवारो जैसे शख्स को नजरअंदाज करे भारत'



पीटर नवारो बीते कुछ दिनों से रूसी तेल खरीदने को लेकर भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं. वह भारत को टैरिफ का महाराजा तक बता चुके हैं. अमी बेरा ने कहा, "इस तरह के बयानबाजी से दोनों देशों के रिश्तों में सुधार नहीं आ सकती है. भारत को पीटर नवारो जैसे शख्स को नजरअंदाज करना चाहिए. वह ट्रंप प्रशासन में वरिष्ठ अधिकारी हैं ऐसे में उन्हें इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए."


'इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की भूमिक अहम'



अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्र्ंप ने कहा कि भारत रूस से तेल खरीदता है इसलिए उस पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया गया है. वहीं चीन जो भारत से ज्यादा कच्चा तेल रूस से खरीदता है उस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया. इस पर अमेरिकी सांसद ने कहा कि सिर्फ भारत पर एक्शन लेना किसी रणनीति जैसा तो नहीं दिखता है. उन्होंने कहा कि हम भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता लाने वाले अहम देश के रूप में देखते हैं.



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