ईरान के कोम शहर को ईरान की आध्यात्मिक राजधानी कहा जाता है. यहां के जामकरन गांव में बनी जामकरन मस्जिद पूरे ईरान में अपना एक अलग ही स्थान रखती है. जामकरन मस्जिद की सबसे बड़ी खासियत है, वहां पर लहराने वाला लाल परचम. आपको बताते हैं कि ये परचम कब और क्यों लहराया जाता है.
ईरान पर जब कोई हमला होता है या फिर ईरान किसी पर हमला करने की कसम खा लेता है तो ईरान की जामकरन मस्जिद के गुंबद पर लाल परचम लहराया जाता है. बता दें कि ये लाल हुसैनी परचम इस बात का संकेत देता है कि ईरान अब अपना बदला पूरा करेगा. बता दें कि इसी जामकरन मस्जिद में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई नमाज अदा करते हैं.
इसी मस्जिद में कैबिनेट बैठक करते हैं खामेनेई
नीले गुंबद वाली ये मस्जिद ईरानी स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है. 1003 ईस्वी में इमाम मेहदी अस्सलाम के निर्देशों पर ये बनाई गई थी. शिया मान्यताओं के मुताबिक मुथली जामकरानी को इमाम मेहदी अस्सलाम ने सपने में ये मस्जिद बनवाने के आदेश दिए थे. इसी मस्जिद में अपनी कैबिनेट बैठक करने के बाद खामेनेई ने दुनिया भर के इस्लामिक मुल्कों से गाजा के लिए एक होने को कहा. सुप्रीम लीडर ने सभी इस्लामिक देशों से इजरायल के साथ अपने सभी तरह के संबंधों को भी खत्म करने को कहा है.
'मुस्लिम दुनिया के लिए ये एकता दिखाने का समय है'
अयातुल्ला अली खामेनेई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि मुस्लिम दुनिया के लिए ये एकता दिखाने का समय है, उन्हें गाजा पीड़ितों के लिए एकसाथ मिलकर खड़ा होना चाहिए. अब वक्त आ गया है कि मुस्लिम और गैर मुस्लिम फिलिस्तीन के मुद्दे पर एकजुटता दिखाएं. उन्होंने कहा कि अब इस मुद्दे पर चुप्पी साध लेना ठीक नहीं होगा. बता दें कि उनका ये इशारा अरब मुल्कों को लेकर था.
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