High-Risk Occupations Kidney: हम रोज काम पर जाते हैं, कई घंटे मेहनत करते हैं, पसीना बहाते हैं और घर पर भी काम खत्म नहीं होता. थकान हो जाना या जॉइंट में दर्द होना तो समझ में आता है, लेकिन हममें से ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि यही रोज का काम धीरे-धीरे किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकता है. और सबसे खतरनाक बात यह है कि किडनी अंदर ही अंदर खराब होती रहती है, बिना किसी बड़े लक्षण के.
किन लोगों की होती है किडनी खराब?
ज्यादातर लोगों का मानना है कि किडनी की बीमारी सिर्फ उन लोगों को होती है जिनकी डाइट खराब है, जो ज्यादा मीठा-नमक खाते हैं या जिन्हें शुगर और ब्लड प्रेशर की समस्या है. लेकिन सच्चाई यह है कि कई ऐसे कारण हैं जो चुपचाप रोज आपकी किडनी पर बोझ डालते रहते हैं और आपको पता भी नहीं चलता कि अंदर क्या नुकसान हो रहा है. किडनी खून को साफ रखती है. लेकिन जब उन पर लगातार दबाव बढ़ता है, तो शरीर में गंदगी जमा होने लगती है, जिसे क्रॉनिक किडनी डिजीज यानी CKD कहा जाता है. कई रिसर्च बताते हैं कि अलग-अलग तरह के काम करने वाले मजदूरों में किडनी फेल होने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, क्योंकि उनकी काम करने की परिस्थितियां ही किडनी के लिए खतरा बन जाती हैं.
किन कामों में हो रही किडनी खराब?
सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को होता है जो बहुत ज्यादा गर्म माहौल में काम करते हैं. जैसे कंस्ट्रक्शन साइट, सड़क बनाने का काम, फैक्ट्रियों में भट्ठी के पास, खेतों में धूप में जहां लगातार पसीना निकलता है. ज्यादा पसीना मतलब ज्यादा डिहाइड्रेशन, जिससे किडनी पर सीधा दबाव पड़ता है. समय के साथ यही स्थिति किडनी को नुकसान पहुंचाती है.
इसके अलावा ऐसे काम जहां लोग केमिकल्स या जहरीली गैसों के संपर्क में रहते हैं जैसे पेंट, बैटरी, गोंद, टेनरी और कई फैक्ट्री यूनिट्स वहां मौजूद रसायन धीरे-धीरे शरीर में जमा होकर किडनी की सेल्स को नष्ट करते हैं. लेड, कैडमियम और मर्करी जैसे भारी धातुएं तो किडनी के लिए सबसे खतरनाक मानी जाती हैं. बैटरी प्लांट, माइनिंग, वेल्डिंग, पेंट और केमिकल उद्योग में काम करने वालों में किडनी को नुकसान का खतरा कई गुना ज्यादा होता है.
कुछ फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाले सॉल्वेंट्स, जैसे ट्राइक्लोरोएथिलीन या टोलुईन भी किडनी में धीरे-धीरे ज़हर की तरह असर करते हैं. इनका नुकसान तुरंत नहीं दिखता, लेकिन समय के साथ किडनी की फिल्टरिंग क्षमता कम होने लगती है. रोजाना इन धुएं और रसायनों का संपर्क आपकी किडनी को चुपचाप खोखला करता रहता है.
गर्मी और भारी मेहनत के अलावा, लगातार तनाव वाली नौकरियां भी किडनी को प्रभावित करती हैं. लंबे घंटे काम करना, शिफ्ट बदलते रहना, कम सोना और खाना अनियमित होना, ये सब चीजें ब्लड प्रेशर बढ़ाकर और मेटाबॉलिज्म बिगाड़कर किडनी पर दबाव बढ़ाती हैं. ऑफिस में लगातार तनाव झेलने वाले लोगों में किडनी फंक्शन कम होने के मामले तेजी से देखे जा रहे हैं.
रिसर्च में क्या निकला?
कई रिसर्च तो यह भी बताते हैं कि तेज गर्मी में काम करने वाले मजदूरों में किडनी के Acute Injury के मामले सामान्य लोगों की तुलना में कई गुना ज्यादा हैं. अमेरिका के खेतों में काम करने वाले मजदूरों में एक ही दिन की मेहनत के बाद किडनी पर असर देखा गया है. वहीं थाईलैंड के एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग गर्म वातावरण में काम करते हैं, उनकी किडनी बीमारी का खतरा 5 गुना बढ़ जाता है.
क्या किया जा सकता है?
सबसे जरूरी है पानी की कमी ना होने देना. जो लोग धूप या गर्म जगहों पर काम करते हैं, उन्हें हर 20-30 मिनट में पानी या इलेक्ट्रोलाइट लेना चाहिए और बीच-बीच में आराम करना चाहिए. जो लोग रसायनों के बीच काम करते हैं, उन्हें मास्क, ग्लव्स और प्रोटेक्टिव कपड़ों का सही इस्तेमाल करना चाहिए, वेंटिलेशन अच्छा रखना चाहिए और समय-समय पर किडनी का टेस्ट कराना चाहिए. वहीं तनाव में काम करने वाले लोगों को नींद पूरी करना, छोटे-छोटे ब्रेक लेना और जीवनशैली को संतुलित रखना बेहद जरूरी है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
