India-US Trade Deal: कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर 50% टैरिफ लगाने का फैसला एक तरह की "आर्थिक ब्लैकमेल" है. उन्होंने कहा कि ट्रंप भारत को एक गलत और अनुचित व्यापार समझौते के लिए दबाव में लेने की कोशिश कर रहे हैं.


राहुल गांधी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, "ट्रंप का 50% टैरिफ आर्थिक ब्लैकमेल है. भारत को एक अनुचित व्यापार समझौते के लिए धमकाने की कोशिश. प्रधानमंत्री मोदी को चाहिए कि वे अपनी कमजोरी को भारतीय जनता के हितों से ऊपर न रखें."






अमेरिकी टैरिफ और रूसी तेल पर नया विवाद
डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की निरंतर खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लागू किया जाएगा. यह टैरिफ मौजूदा 25 प्रतिशत शुल्क के अतिरिक्त होगा और अगले तीन हफ्तों में लागू हो जाएगा.


पीएम मोदी की चुप्पी पर राहुल गांधी का निशाना
रायबरेली से सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस मुद्दे पर चुप्पी पर भी सवाल उठाए. उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकियों के बावजूद कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि अडानी समूह के खिलाफ अमेरिकी जांच चल रही है.


अमेरिकी टैरिफ और रूसी तेल पर नया विवाद
डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की निरंतर खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लागू किया जाएगा. यह टैरिफ मौजूदा 25 प्रतिशत शुल्क के अतिरिक्त होगा और अगले तीन हफ्तों में लागू हो जाएगा.


पीएम मोदी की चुप्पी पर राहुल गांधी का निशाना
रायबरेली से सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस मुद्दे पर चुप्पी पर भी सवाल उठाए. उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकियों के बावजूद कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि अडानी समूह के खिलाफ अमेरिकी जांच चल रही है.


राहुल गांधी ने लिखा, "भारत कृपया समझे, प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति ट्रंप की बार-बार की धमकियों के बावजूद उनके सामने खड़े नहीं हो पा रहे हैं, इसका कारण अडानी के खिलाफ चल रही अमेरिकी जांच है. मोदी के हाथ बंधे हुए हैं."


भारत सरकार ने किया संप्रभु अधिकार का बचाव
टैरिफ के मुद्दे पर भारत सरकार की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए कहा गया कि भारत अपनी ऊर्जा नीति को राष्ट्रीय हित और बाज़ार की गतिशीलता के आधार पर तय करता है. सरकार ने स्पष्ट किया कि भारत की ऊर्जा खरीद को कोई बाहरी दबाव नहीं निर्देशित कर सकता.