कतर मध्य पूर्व का एक समृद्ध इस्लामिक देश है. यह देश तेल और गैस की संपदा के लिए प्रसिद्ध है. यहां की करेंसी कतरी रियाल (QAR) है. कतर में भारतीय प्रवासी समुदाय बहुत बड़ा और सक्रिय है. भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, 2022 में कतर में लगभग 8 लाख भारतीय रहते थे. ये लोग निर्माण, स्वास्थ्य सेवा, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और सेवा क्षेत्र जैसे उद्योगों में काम करते हैं. भारतीय समुदाय न केवल आर्थिक योगदान देता है, बल्कि सांस्कृतिक पुल की तरह दोनों देशों को जोड़ता है.


भारत और कतर के रिश्ते
भारत और कतर के बीच कूटनीतिक संबंध 1970 के दशक में शुरू हुए थे. समय के साथ यह संबंध और गहरे होते गए. दोनों देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग करते हैं. कतर में बड़ी संख्या में भारतीयों की उपस्थिति रिश्तों को और मजबूत बनाती है.


भारत-कतर का आर्थिक सहयोग
भारत और कतर का आर्थिक रिश्ता ऊर्जा क्षेत्र पर आधारित है. कतर भारत को प्राकृतिक गैस का एक बड़ा आपूर्तिकर्ता है. वहीं भारत, कतर को वस्त्र, खाद्य उत्पाद और श्रमशक्ति उपलब्ध कराता है. इस सहयोग से दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को फायदा होता है.


कितने कमाने पर बन जाएंगे करोड़पति?


Wise की रिपोर्ट्स के अनुसार, 1 कतरी रियाल लगभग 24.18 भारतीय रुपये के बराबर है. अगर कोई भारतीय कतर में 1 लाख कतरी रियाल कमाता है तो भारत में उसकी कीमत करीब 24 लाख 23 हजार रुपये होती है. अगर आप दो लाख रियाल कमाते हैं तो ये करीब 48 लाख 46 हजार भारतीय रुपए के आसपास हो जाएगा. 4 लाख कतरी रियाल में ये रकम 96 लाख 93 हजार भारतीय रुपए के करीब हो जाएगी. वहीं 1 करोड़ रुपए कमाने के लिए किसी भी भारतीय को 4 लाख 25 हजार कतरी रियाल कमाने होंगे, जिसकी कीमत पूरी 1 करोड़ 2 लाख 98 हजार 851 भारतीय रुपए हो जाएगी.


कतर क्यों है भारतीयों के लिए आकर्षक
कतरी रियाल की भारतीय रुपये से ऊंची कीमत कामगारों के लिए बड़ा कारण है. कतर बेहतर वेतन और रोजगार के अवसर प्रदान करता है. देश की अर्थव्यवस्था सुरक्षित और स्थिर मानी जाती है. पहले से मौजूद भारतीय समुदाय नए प्रवासियों के लिए एक सहज माहौल बनाता है.


भारतीय प्रवासियों का योगदान
भारतीय प्रवासी लंबे समय से अपने देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते आ रहे हैं. RBI के ताजा आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में विदेशों में रहने वाले भारतीयों ने भारत में 135.46 बिलियन डॉलर (लगभग 11.60 लाख करोड़ रुपए) भेजे. यह सिर्फ रिकॉर्ड आंकड़ा ही नहीं है, बल्कि पिछले साल की तुलना में 14% अधिक है.


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