सऊदी अरब और पाकिस्तान ने बीते बुधवार (17 सितंबर 2025) को रक्षा समझौते पर साइन किया, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है. समझौते की टाइमिंग और इसके पीछे छिपे संदेशों ने विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है. यह कदम न सिर्फ खाड़ी क्षेत्र बल्कि दक्षिण एशिया और वैश्विक राजनीति के लिए भी अहम साबित हो सकता है. यह समझौता 9 सितंबर को दोहा में हमास नेताओं पर हुए हमले के लगभग दस दिन बाद सामने आया. विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी टाइमिंग बेहद प्रतीकात्मक है. इसमें यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी देश पर हमला, दोनों पर हमला माना जाएगा.
रियाद ने इसे व्यापक रक्षात्मक समझौता बताया है, जिसमें सभी सैन्य साधन शामिल हैं. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम भी समझौते के दायरे में आएगा. यह एक बड़ा कदम है क्योंकि पाकिस्तान एकमात्र मुस्लिम देश है जिसके पास परमाणु हथियार हैं.
सऊदी अरब और पाकिस्तान का ऐतिहासिक रक्षा सहयोग
सऊदी अरब और पाकिस्तान के रिश्ते लंबे समय से सुरक्षा सहयोग पर आधारित रहे हैं. 1990 के दशक में खाड़ी युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने सऊदी सीमा और पवित्र स्थलों की सुरक्षा के लिए 11,000 सैनिक तैनात किए थे. आज भी 1500-2000 पाकिस्तानी सैनिक सऊदी अरब में मौजूद हैं. कहा जाता है कि पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को सऊदी अरब ने वित्तीय सहयोग से खड़ा किया. अगर यह सच है तो मौजूदा समझौता उस लंबे रिश्ते को औपचारिक रूप देता है. अल्बानी विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर और दक्षिण एशिया के विशेषज्ञ क्रिस्टोफर क्लैरी क्रिस्टोफर क्लैरी के अनुसार, इसका मतलब है कि सऊदी अरब पर हमला करने वाले किसी भी देश को अब पाकिस्तानी परमाणु क्षमता को ध्यान में रखना होगा.
पाकिस्तान के लिए फायदे और चुनौतियां
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लंबे समय से नाजुक रही है. जॉर्ड मेसन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर और पाकिस्तानी राजनीति के विश्लेषक अहसान बट का मानना है कि इस समझौते का सबसे बड़ा फायदा पाकिस्तान को वित्तीय मदद और निवेश के रूप में मिलेगा.सऊदी अरब से मिलने वाले निवेश की उम्मीद पाकिस्तान के लिए जीवनरेखा हो सकती है. विशेष रूप से परिवहन, विमानन और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में निवेश पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था को सहारा देगा.
भारत पर असर द्विपक्षीय मुद्दे से क्षेत्रीय मसला
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुई सैन्य झड़पों ने दोनों देशों के तनाव को और गहरा किया है. अब जबकि यह समझौता कहता है कि पाकिस्तान पर हमला, सऊदी अरब पर हमला होगा, भारत को हर रणनीतिक कदम पर सऊदी अरब को ध्यान में रखना पड़ेगा. हालांकि, सऊदी अधिकारियों ने भारत के साथ मजबूत रिश्तों पर जोर दिया है, लेकिन इस समझौते से भारत के लिए नए कूटनीतिक और रणनीतिक समीकरण बनेंगे.
इजरायल और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस समझौते से इजरायल भी सतर्क हो गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में पाकिस्तान इजरायल की नजर में एक बड़ी चुनौती बन सकता है. इजरायल अपने दुश्मन देशों के परमाणु कार्यक्रमों को पहले भी निशाना बना चुका है, इसीलिए अब पाकिस्तान के शीर्ष वैज्ञानिकों और परमाणु ढांचे पर खतरा बढ़ सकता है.
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