अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि 25 सितंबर को वे तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन की व्हाइट हाउस में मेजबानी करेंगे. यह यात्रा खास मानी जा रही है क्योंकि 2019 के बाद यह एर्दोगन की पहली आधिकारिक द्विपक्षीय यात्रा होगी. हाल ही में दोनों नेताओं की मुलाकात संयुक्त राष्ट्र महासभा में न्यूयॉर्क में हुई थी और यह वॉशिंगटन वार्ता उसी का अगला कदम मानी जा रही है.
अमेरिका और तुर्किए के बीच सबसे बड़ा विवाद F-35 फाइटर जेट प्रोग्राम को लेकर रहा है. 2019 में तुर्किए ने रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा था, जिसके बाद अमेरिका ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर तुर्किए को F-35 प्रोग्राम से बाहर कर दिया. इसके बावजूद तुर्किए लगातार इस प्रोग्राम में वापसी की इच्छा जताता रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार भी F-35 पर कोई बड़ी प्रगति नहीं होगी. रक्षा विशेषज्ञ प्रोफेसर जेम्स ए. रसेल का कहना है कि तुर्किए के लिए F-16 पर ध्यान देना ज्यादा व्यावहारिक विकल्प है क्योंकि F-35 अमेरिकी सैन्य इतिहास का सबसे महंगा और विवादित प्रोजेक्ट है.
कैसे रहे हैं अमेरिका और तुर्किए के बीच रिश्ते?
इस मुलाकात का एक अहम एजेंडा व्यापार भी होगा. एक समय था जब तुर्किए को अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रीय सहयोगी माना जाता था, लेकिन अब माहौल बदल गया है. अमेरिका का प्रभाव मिडिल ईस्ट में कम हो रहा है, वहीं तुर्किए अब केवल पश्चिमी देशों पर निर्भर नहीं है बल्कि रूस और अन्य देशों के साथ भी मजबूत संबंध बना रहा है. एर्दोगन की रणनीति अमेरिका और रूस दोनों के साथ संतुलन साधने की है. प्रोफेसर रसेल का मानना है कि एर्दोगन आर्थिक समझौतों के जरिए ट्रंप को खुश करने की कोशिश करेंगे, लेकिन रणनीतिक स्तर पर अब अमेरिका-तुर्किए रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे.
खुद को खलीफा बनाने चले हैं एर्दोगन!
तुर्किए का महत्व केवल सैन्य सौदों तक सीमित नहीं है. राष्ट्रपति एर्दोगन ने गाजा में इजरायल की कार्रवाई और अमेरिका की नीति पर कई बार खुलकर सवाल उठाए हैं. यह संकेत देता है कि तुर्किए खुद को क्षेत्रीय मध्यस्थ के रूप में स्थापित करना चाहता है. अमेरिका के हथियारों की सप्लाई और इजरायल को मिलने वाली आर्थिक मदद की आलोचना भी इस यात्रा की पृष्ठभूमि में बनी रहेगी.
भविष्य की दिशा
इस मुलाकात से कई संभावित नतीजे निकल सकते हैं. सबसे बड़ा कदम F-16 सौदे पर प्रगति का हो सकता है, जहां अमेरिका तुर्किए को आधुनिक F-16 विमानों की सप्लाई पर सहमत हो सकता है. इसके साथ ही बोइंग विमान खरीद और अन्य आर्थिक समझौते भी एजेंडा में रहेंगे. राजनीतिक स्तर पर तुर्किए अमेरिका और रूस के बीच संतुलन साधते हुए खुद को एक क्षेत्रीय ताकत के रूप में और मजबूत करने की कोशिश करेगा.
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