जापान और चीन के बीच राजनीतिक अविश्वास बहुत पुराना है, लेकिन जापान में नए प्रधानमंत्री के चुनाव के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं. जापानी पीएम साने ताकाइची ने संसद में कहा कि अगर चीन ताइवान पर सैन्य कार्रवाई करता है तो यह जापान के अस्तित्व पर सीधा खतरा होगा और टोक्यो को जवाबी सैन्य कदम उठाने पड़ सकते हैं. इस बयान ने पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में हलचल मचा दी.
साने ताकाइची के बयान के बाद चीन ने बहुत ही कड़ा बयान दिया है. सरकारी प्रवक्ताओं, मीडिया और कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े प्लेटफॉर्म्स ने जापान के बयान को उत्तेजक और क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बताते हुए आरोप लगाया कि टोक्यो जानबूझकर तनाव बढ़ा रहा है. इसके बाद चीन में जापान-विरोधी जनभावनाएं तेजी से उभरने लगीं.
अर्थव्यवस्था को ठप कर सकता है युद्ध
ताइवान का भविष्य, सेनकाकू और दियाओयू द्वीप के साथ-साथ अमेरिकी सैन्य मौजूदगी जैसे पुराने मुद्दे पहले से दोनों देशों के बीच राजनीतिक अविश्वास को हवा देते रहे हैं. ताकाइची का बयान इन्हीं तनावों के बीच आया और बीजिंग को यह साफ संदेश मिला कि जापान ताइवान पर अपनी स्थिति पहले से ज़्यादा कठोर कर रहा है. जापान के लिए ताइवान का मुद्दा सिर्फ कूटनीतिक विवाद नहीं है.
ताइवान जापान के दक्षिण-पश्चिमी द्वीपों से मात्र 110 किलोमीटर दूर है और युद्ध की स्थिति होने पर जापानी भूभाग सीधा खतरे में आ जाता है. इसके अलावा ताइवान के पास से गुजरने वाला समुद्री मार्ग जापान की ऊर्जा और व्यापारिक लाइफलाइन है. टोक्यो मानता है कि ताइवान पर किसी भी प्रकार का युद्ध उसकी अर्थव्यवस्था को ठप कर सकता है.
चीन में रहने वाले जापानी नागरिकों के लिए खतरे की घंटी
तनाव बढ़ने के साथ ही 18 नवंबर 2025 को जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव मिनोरू किहारा ने चीन में मौजूद जापानी नागरिकों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी. किहारा के अनुसार, यह कदम चीन में तेजी से फैल रही जापान-विरोधी मानसिकता को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है. जापानी दूतावास की सलाह में कहा गया है कि नागरिक भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में सतर्क रहें. अनजान लोगों से बहस से बचें. अकेले यात्रा न करें. किसी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत स्थान छोड़ दें. बच्चों के साथ यात्रा कर रहे परिवार अतिरिक्त सावधानी बरतें. यह स्थिति 2012 के सेनकाकू विवाद के बाद सबसे गंभीर सुरक्षा चेतावनी मानी जा रही है. जापानी व्यवसायियों, छात्रों और परिवारों ने बड़ी संख्या में दूतावास से संपर्क कर जानकारी मांगी है.
चीन ने रोक दी जापानी फिल्मों की रिलीजिंग
राजनयिक विवाद का असर चीन के सांस्कृतिक क्षेत्र में भी दिखा. सरकारी प्रसारक CCTV ने घोषणा की कि जापान की दो प्रमुख फिल्मों की रिलीज फिलहाल रोक दी गई है. इनमें शामिल हैं—
Crayon Shin-chan: The Movie
Cells at Work! (Live Action)
इन फिल्मों को रिलीज से कुछ ही हफ्ते पहले रोक दिया गया. CCTV ने इसे जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया विवेकपूर्ण फैसला बताया. जापान इस कदम से असहज है, क्योंकि चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फिल्म बाजार है और जापानी एनीमेशन और सांस्कृतिक सामग्री को यहां बड़ी दर्शक संख्या मिलती है. अगर तनाव और बढ़ता है तो जापानी कंटेंट पर और बड़े प्रतिबंध देखने को मिल सकते हैं.
आर्थिक रिश्तों पर मंडराया संकट उद्योग जगत की बेचैनी बढ़ी
जापान के व्यापार मंत्री रयोसेई अकाजावा ने कहा कि हालिया तनाव के बावजूद अभी तक चीन ने दुर्लभ मृदा (रेयर अर्थ) और महत्वपूर्ण खनिजों की सप्लाई में व्यवधान नहीं डाला है, लेकिन जापान के उद्योग जगत में आशंका बढ़ रही है. जापान के 3 प्रमुख व्यापारिक संगठनों के प्रमुखों ने प्रधानमंत्री ताकाइची से मुलाकात कर आग्रह किया कि राजनीतिक तनाव को कम करने के लिए संवाद अनिवार्य है, क्योंकि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे पर गहरे रूप से निर्भर हैं. जापान खासकर हाई-टेक उपकरणों, बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल निर्माण के लिए चीनी खनिजों पर निर्भर है.
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