अमेरिका के बाद अब ब्रिटेन में भी भारतीय कर्मचारियों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा के नियमों में बड़ा बदलाव किया था. उन्होंने इसके आवेदन की फीस एक लाख डॉलर कर दी थी. अब ब्रिटेन ने भी अपने कानून बदले हैं. ब्रिटेन की लेबर पार्टी की कीर स्टारमर सरकार ने घोषणा की है कि यूनाटेड किंगडम में विदेशी कर्मचारियों को स्थाई निवास के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा.


अब ब्रिटेन में रह रहे विदेशी कर्मचारियों को स्थाई निवास की अर्हता के लिए पांच साल की जगह दस साल का इंतजार करना होगा. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश गृह मंत्री शबाना महमूद ने सोमवार (29 सितंबर) कहा कि प्रवासियों को खुद को अच्छा नागरिक साबित करना होगा और इसके लिए कई नए टेस्ट पास करने होंगे. उन्हें इससे कई और फायदे भी हो सकते हैं. उनके लिए नागरिकता हासिल करने का रास्ता भी आसान हो जाएगा. 


नए नियमों में क्या-क्या शामिल 


नए नियमों के अनुसार स्थाई निवास के आवेदकों को दोगुने इंतजार के साथ राष्ट्रीय बीमा में योगदान देना होगा. उन्हें हाई क्वालिटी की इंग्लिश सीखनी होगी. इसके साथ ही स्थानीय धार्मिक संस्थाओं में स्वयंसेवा करनी होगी. स्टारमर सरकार ब्रिटेन में अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्ती दिखाई है. इसी वजह से यह एक्शन लिया गया है.


भारतीय कर्मचारियों या छात्रों पर क्या पड़ेगा असर


ब्रिटेन में भारतीय मूल के काफी लोग हैं, जो पढ़ाई या काम के सिलसिले में लंबे वक्त से रहे हैं. लिहाजा ब्रिटेन सरकार के इस कदम का सबसे बड़ा असर भारतीय लोगों पर पड़ सकता है. स्थाई निवास के लिए आवेदन का दोगुना वक्त होने की वजह से भारतीय पर आर्थिक बोझ पड़ सकता है. उन्हें और भी तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. वे अब अनिश्चितता की स्थिति में भी फंस सकते हैं.