ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने रविवार को एक साथ फिलिस्तीन को आधिकारिक राष्ट्र का दर्जा देने का ऐलान किया. यह कदम इजरायल के खिलाफ और अमेरिका की नीति से उलट माना जा रहा है. तीनों देशों ने कहा कि यह फैसला गाजा युद्ध को खत्म करने और दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में उम्मीद जगाने के लिए लिया गया है.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीयर स्टार्मर ने X पर लिखा, “आज हम फिलिस्तीन राष्ट्र को औपचारिक रूप से मान्यता देते हैं ताकि फिलिस्तीनियों और इजरायलियों के बीच शांति की उम्मीद को जिंदा रखा जा सके.' ब्रिटेन के डिप्टी पीएम डेविड लैमी ने कहा कि मान्यता देने से फिलिस्तीन रातों-रात राष्ट्र नहीं बन जाएगा, लेकिन यह दो-राष्ट्र समाधान की संभावना को जिंदा रखने का कदम है.
Today, to revive the hope of peace for the Palestinians and Israelis, and a two state solution, the United Kingdom formally recognises the State of Palestine. pic.twitter.com/yrg6Lywc1s
— Keir Starmer (@Keir_Starmer) September 21, 2025
कनाडा और ऑस्ट्रेलिया भी साथ
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने भी इसी तरह बयान जारी कर फिलिस्तीन को मान्यता दी. दोनों देशों ने कहा कि यह कदम गाजा संघर्ष को खत्म करने और स्थायी शांति के लिए उठाया गया है.
अमेरिका-इजरायल की कड़ी आपत्ति
अमेरिका और इजरायल ने इस फैसले का विरोध किया और इसे हमास और आतंकवाद को इनाम देने जैसा बताया. इजरायल लगातार दो-राष्ट्र समाधान का विरोध करता रहा है और वेस्ट बैंक में बस्तियां बढ़ा रहा है, जिसे भविष्य के फिलिस्तीनी राष्ट्र की जमीन माना जाता है.
क्या है इतिहास?
ब्रिटेन का फिलिस्तीन से गहरा ऐतिहासिक रिश्ता रहा है. 1917 की बेलफोर घोषणा में यहूदियों के लिए मातृभूमि का समर्थन किया गया था, लेकिन फिलिस्तीनियों के अधिकारों को काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया गया. फिलिस्तीनी मिशन के प्रमुख हुसाम जोमलोट ने कहा, “आज 108 साल पुराने हमारे अस्तित्व के इनकार को खत्म करने का दिन है. यह इतिहास को सुधारने का पल है.'
अब तक कितने देश कर चुके हैं मान्यता
अब तक 145 से ज्यादा देश फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं. लेकिन ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे जी-7 और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों का यह कदम काफी अहम माना जा रहा है.
