लद्दाख प्रशासन ने मंगलवार (30 सितंबर, 2025) को सोनम वांगचुक सहित अन्य व्यक्तियों को प्रताड़ित करने के आरोपों का कड़ा खंडन किया और ज़ोर देकर कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा की गई सभी कार्रवाई विश्वसनीय सूचनाओं और साक्ष्यों पर आधारित थी. डीआईपीआर की तरफ से जारी स्पष्टीकरण में प्रशासन ने कहा कि किसी को निशाना बनाने या धुआंधार प्रचार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता, जैसा कि हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस और मीडिया बयानों में कहा गया.


इसमें यह भी कहा गया कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में संस्थानों और व्यक्तियों के खिलाफ चल रही जांच कानून के अनुसार की जा रही है और इसे निष्पक्ष रूप से आगे बढ़ने दिया जाना चाहिए. बयान में कहा गया कि वांगचुक से संबद्ध हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (एचआईएएल) कथित वित्तीय अनियमितताओं और विदेशी मुद्रा उल्लंघनों के लिए जांच के दायरे में है.


'मान्यता न होने के बावजूद डिग्रियां जारी कर रहा एचआईएएल'  
डीआईपीआर के बयान में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया साक्ष्य मौजूद हैं कि एचआईएएल विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता प्राप्त न होने के बावजूद डिग्रियां जारी कर रहा है, जिससे छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ रहा है. संस्थान अपनी बैलेंस शीट में विदेशी धन का खुलासा करने में भी विफल रहा है. इसमें वांगचुक से जुड़े एक अन्य संस्थान, स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) को विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के तहत रद्द करने के मुद्दे पर भी चर्चा की गई. प्रशासन ने कहा कि रद्दीकरण कई उल्लंघनों के स्पष्ट सबूतों के आधार पर किया गया था, साथ ही यह भी बताया कि ऐसे आदेशों के खिलाफ अपील के लिए कानूनी मंच उपलब्ध है.


किस आधार पर हुई सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ?
लद्दाख प्रशासन ने वांगचुक द्वारा कथित तौर पर की गई टिप्पणियों पर चिंता व्यक्त की और दावा किया कि उन्होंने नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश के उदाहरणों का हवाला दिया और अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से अरब स्प्रिंग जैसी क्रांति का आह्वान भी किया. अधिकारियों ने कहा कि इस तरह के संदर्भ युवाओं में अशांति भड़का सकते हैं. बयान के अनुसार, वांगचुक ने आत्मदाह का भी सुझाव दिया और प्रदर्शनकारियों से कोविड-19 के बहाने प्रतिरोध के रूप में मास्क और हुडी पहनने का आग्रह किया. 


'लेह कस्बे में सामान्य स्थिति बहाल करेंगे'
कहा गया है कि सरकार द्वारा 20 सितंबर को अगले दौर की वार्ता की घोषणा और तारीखों में लचीलापन देने के बावजूद वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल जारी रखी. बयान में इस कृत्य को गैर-ज़िम्मेदाराना और व्यक्तिगत व राजनीतिक लाभ के लिए लक्षित बताया गया. प्रशासन ने आगे आरोप लगाया कि तनाव बढ़ने पर वांगचुक चुपचाप धरना स्थल से चले गए और शांति बहाल करने में मदद करने के बजाय स्थिति से खुद को दूर कर लिया.


बयान के अंत में कहा गया, "हमें विश्वास है कि हम सब मिलकर शांति प्रिय लेह कस्बे में सामान्य स्थिति बहाल करेंगे और अपनी बातचीत प्रक्रिया जारी रखेंगे."


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