Down Syndrome Baby : पैरेंट्स बनने की खुशी अलग ही होती है. यह बेहद खूबसूरत एहसास होता है. मां बनना हर महिला का सपना होता है. प्रेगनेंसी (Pregnancy) से लेकर डिलीवरी तक खास सावधानियां बरतनी पड़ती है. नए बच्चे के आने तक हर छोटी-बड़ी चीजों का ख्याल रखना पड़ता है. लेकिन अगर प्रेगनेंसी के दौरान सावधानी न बरती जाए, तो बच्चे की सेहत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. इससे कई तरह की दिक्कतें पैदा हो सकती हैं.
डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) भी ऐसी ही एक प्रॉब्लम है. यह एक जेनेटिक डिसऑर्डर है, जो गर्भ में ही पैदा होता है और इसका मुख्य कारण माता-पिता की कुछ गलतियां हो सकती हैं. इस आर्टिकल में आइए जानते हैं किन कारणों से डाउन सिंड्रोम का खतरा बढ़ सकता है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए...
डाउन सिंड्रोम क्या होता है
डाउन सिंड्रोम एक अनुवांशिक (Genetic) डिसऑर्डर है, जिसमें बच्चे के शरीर की सेल्स में एक्स्ट्रा क्रोमोसोम पाया जाता है. हर इंसान में 23 जोड़ी गुणसूत्र (Chromosomes) होते हैं, लेकिन डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों में 21वें गुणसूत्र की एक एक्स्ट्रा कॉपी होती है. इसकी वजह से बच्चे के मेंटेल और फिजिकल ग्रोथ प्रभावित होती है.
किन गलतियों से बढ़ सकता है डाउन सिंड्रोम का खतरा
1. ज्यादा उम्र में प्रेगनेंसी
अगर महिला की उम्र 35 साल से ज्यादा है, तो डाउन सिंड्रोम होने का खतरा ज्यादा होता है. उम्र बढ़ने के साथ एग्स की क्वालिटी कम होने लगती है, जिससे जेनेटिक डिसऑर्डर का जोखिम बढ़ जाता है.
2. पिता बनने की ज्यादा उम्र
सिर्फ मां की उम्र ही नहीं, बल्कि पिता की उम्र भी डाउन सिंड्रोम के खतरे को बढ़ा सकती है. शोध के मुताबिक, 40 साल से अधिक उम्र के पुरुषों के शुक्राणु (Sperm) में जेनेटिक म्यूटेशन की आशंका ज्यादा होती है, जिससे बच्चे में क्रोमोसोमल असामान्यता हो सकती है.
3. फैमिली हिस्ट्री की अनदेखी
अगर परिवार में पहले से डाउन सिंड्रोम के मामले रहे हैं, तो डॉक्टर से जेनेटिक काउंसलिंग करवानी चाहिए. कई बार अनुवांशिक कारणों से भी यह समस्या आ सकती है. ऐसे में लापरवाही से बचना चाहिए.
4. प्रेगनेंसी में अनहेल्दी लाइफस्टाइल
अगर प्रेगनेंसी के दौरान मां सही पोषण नहीं लेती या नुकसानदायक चीजों का सेवन करती है, तो फीटस यानी भ्रूण का विकास प्रभावित हो सकता है. इसकी वजह से जेनेटिक गड़बड़ी हो सकती है.
प्रेगनेंसी में शराब-सिगरेट पीना, जंक फूड और असंतुलित आहार, फोलिक एसिड और जरूरी पोषक तत्वों की कमी, इस बीमारी का कारण बन सकता है.
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5. रेडिएशन और टॉक्सिन के संपर्क में आना
अगर गर्भावस्था के दौरान महिला रेडिएशन या हानिकारक केमिकल्स के संपर्क में आती है, तो इससे बच्चे की कोशिकाओं में जेनेटिक बदलाव हो सकते हैं. इसलिए प्रेगनेंसी में ज्यादा ऐसी जगहों पर जाने से बचना चाहिए.
6. प्रेगनेंसी से पहले हेल्थ चेकअप न कराना
अगर महिला किसी पुरानी बीमारी जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या थायरॉइड से पीड़ित है और उसका सही इलाज नहीं हो रहा है, तो इससे बच्चे में क्रोमोसोमल डिसऑर्डर का खतरा बढ़ सकता है.
डाउन सिंड्रोम से कैसे करें बचाव
प्रेगनेंसी की सबसे सही उम्र 25 से 30 साल मानी जाती है, इसी दौरान बेबी प्लान करें.
अगर फैमिली में पहले से कोई जेनेटिक बीमारी रही है तो पहले टेस्ट कराएं.
फोलिक एसिड और पोषण का ध्यान रखें. इसके लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
धूम्रपान, शराब और नशे से बचें.
रेडिएशन और टॉक्सिन से बचें. पॉल्यूशन से दूर रहें.
ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और हार्मोनल बैलेंस पर नजर रखें.
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