इथियोपिया का हेली गुब्बी ज्वालामुखी करीब 10 हजार साल बाद रविवार (23 नवंबर 2025) को फट गया. इस बीच आशंका जताई जा रही है कि ज्वालामुखी फटने के बाद उठा राख का गुबार क्षेत्र में प्रदूषण को और बढ़ा सकता है. राख का गुबार करीब 14 किलोमीटर (45,000 फुट) की ऊंचाई तक गया और लाल सागर की ओर पूर्व दिशा में फैलने लगा.


अब तक के बड़े अपडेट्स


भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार ये राख के गुबार चीन की ओर बढ़ रहे हैं और मंगलवार (25 नवंबर 2025) शाम साढ़े बजे तक भारत से दूर चले जाएंगे. न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक मौसम वैज्ञानिक राधेश्याम शर्मा ने कहा कि इथियोपियाई ज्वालामुखी विस्फोट से उठे राख के बादल का राजस्थान में कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव पिछले 10 से 15 घंटों में इस विशेष क्षेत्र पर देखा गया है.


IMD वैज्ञानिक ने बताया कि इथियोपियाई ज्वालामुखी विस्फोट से उठा राख पूर्वी भारत के क्षेत्रों को पार कर रहा है. उन्होंने कहा, "चूंकि इन राख के बादलों की ऊंचाई 8 से 15 किलोमीटर है, इसलिए सतह पर इनका कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं देखा गया. ये राख वर्तमान में पूर्व-उत्तर-पूर्व दिशा में आगे बढ़ रहा है."


नागरिक उड्डयन मंत्रालय, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां, एटीसी, मौसम विभाग और एयरलाइंस लगातार हालात पर आपस में तालमेल बनाए हुए हैं. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इसे लेकर जरूरी NOTAM जारी कर दिया है, जिन उड़ानों पर इसका असर पड़ सकता है उसे पूरी जानकारी दी जा रही है. एविएशन मिनिस्ट्री ने बताया, "फिलहाल हवाई संचालन सामान्य है. केवल कुछ विमानों का रूट डायवर्ट किया गया या एहतियात के तौर पर उन्हें वापस उतारा गया है. इस समय चिंता की कोई बात नहीं है."





फ्लाइटराडार24 के अनुसार ज्वालामुखी विस्फोट से उठा राख वर्तमान में उत्तरी भारत के ऊपर देखा गया और यह तेजी से चीन की ओर बढ़ रहा है. अब खतरा चीन के लिए ज्यादा माना जा रहा है. भारतीय मौसम विज्ञान एजेंसी इंडियामेटस्काई के अनुसार आने वाले कुछ दिनों में यह महीन धूल सबट्रॉपिकल जेट स्ट्रीम के साथ प्रशांत महासागर की ओर बढ़ जाएगी.  सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि सतह पर कहीं भी कोई खतरा नहीं है.


IMD के अनुसार इसका एक्यूआई पर कोई असर नहीं पड़ा और न पड़ेगा. हिमालयी तराई, नेपाल की पहाड़ियों या उत्तर भारत के मैदानों में एसओ2 का स्तर भी सामान्य हो चुका है. 40,000 फीट से ऊपर सिर्फ एसओ 2 का हल्का निशान बचा है, जो तेजी से फैलकर निष्क्रिय हो जाएगा. इंडियामेटस्काई ने बताया कि जहां-जहां यह महीन धूल ऊपरी वायुमंडल में रहेगी, वहां सूर्योदय और सूर्यास्त बेहद रंगीन और शानदार दिखाई देंगे. लाल, बैंगनी और नारंगी रंगों की छटा आसमान में छा जाएगी, ठीक वैसे ही जैसे बड़े ज्वालामुखी विस्फोट के बाद पूरी दुनिया में देखने को मिलता है.