आयकर कानून में बड़े बदलाव की तैयारी के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में नया इनकम टैक्स बिल पेश किया. यह संशोधित बिल, संसदीय चयन समिति की अधिकतर सिफारिशों को शामिल करता है और पुराने 1961 के आयकर अधिनियम को बदलने का आधार बनेगा. लोकसभा में यह बिल पारित हो गया है.


संशोधित इनकम टैक्स बिल पेश
सरकार ने पिछले हफ्ते 13 फरवरी को पेश किए गए इनकम टैक्स बिल, 2025 को वापस लेने का फैसला किया था. नया मसौदा 11 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया, जिसमें सभी सुझाए गए बदलाव एक ही दस्तावेज में शामिल किए गए हैं. राहत की बात यह है कि 12 लाख तक की सालाना आय पर टैक्स से छूट बरकरार रखी गई है.


निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा, “हमें ऐसे सुझाव मिले हैं जिन्हें सही कानूनी अर्थ देने के लिए शामिल करना जरूरी है. इसमें ड्राफ्टिंग की त्रुटियां, शब्दों का मिलान, आवश्यक बदलाव और क्रॉस-रेफरेंसिंग जैसी सुधारें की गई हैं.” उन्होंने कहा कि पुराना बिल भ्रम से बचने के लिए वापस लिया गया और नया ड्राफ्ट अब 1961 अधिनियम को बदलने का आधार बनेगा.


चयन समिति की मुख्य सिफारिशें



  •  धारा 21 (संपत्ति का वार्षिक मूल्य): “इन नॉर्मल कोर्स” शब्द हटाकर, खाली पड़ी संपत्तियों के वास्तविक किराए और अनुमानित किराए की तुलना स्पष्ट रूप से जोड़ना.

  • धारा 22 (हाउस प्रॉपर्टी आय से कटौती): 30% मानक कटौती नगरपालिका कर घटाने के बाद लागू करना; निर्माण-पूर्व ब्याज कटौती को किराए पर दी गई संपत्तियों तक बढ़ाना.

  • धारा 19 (वेतन कटौती – अनुसूची VII): उन लोगों के लिए कम्यूटेड पेंशन कटौती की अनुमति, जो कर्मचारी नहीं हैं लेकिन पेंशन फंड से पेंशन पाते हैं.

  • धारा 20 (व्यावसायिक संपत्ति): ऐसे शब्द बदलना, जिससे अस्थायी रूप से खाली पड़ी व्यावसायिक संपत्तियों को “हाउस प्रॉपर्टी” आय के रूप में टैक्स न किया जाए. 


 समिति का कहना है कि इन बदलावों से कानून में स्पष्टता और न्यायसंगतता आएगी और यह मौजूदा प्रावधानों के अनुरूप होगा.

वापस लिए गए फरवरी बिल की प्रमुख बातें

फरवरी का ड्राफ्ट पिछले 60 साल में भारत के प्रत्यक्ष कर कोड का सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा था. इसकी प्रमुख विशेषताएं थीं:



  •  आसान भाषा, कटौतियों का एकीकरण और छोटे प्रावधान, जिससे अनुपालन सरल हो.

  • कुछ अपराधों के लिए कम पेनाल्टी, ताकि कर प्रणाली करदाताओं के लिए अनुकूल हो.

  •  टैक्स स्लैब, कैपिटल गेन नियम या आय वर्गों में कोई बदलाव नहीं.

  •  “पहले भरोसा, बाद में जांच” के सिद्धांत से मुकदमेबाजी में कमी.

  • आधुनिक प्रशासन, CBDT की बढ़ी हुई शक्तियां, डिजिटल निगरानी और “टैक्स ईयर” की अवधारणा.


फरवरी का ड्राफ्ट 23 अध्याय, 536 धाराएं और 16 अनुसूचियां लिए हुए था, जिसमें आसान समझ के लिए टेबल और फार्मूले शामिल थे. इसमें TDS नियमों को सरल करना, डेप्रिसिएशन प्रावधानों को आसान बनाना, और निवास मानदंड व वित्तीय वर्ष की समयसीमा को यथावत रखना प्रस्तावित था.