अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर दुनिया के व्यापारिक रिश्तों को चुनौती देने वाले हैं. 2 अप्रैल को वह 'लिबरेशन डे' के रूप में एक नई टैरिफ नीति का ऐलान करेंगे, जो न केवल अमेरिका के व्यापारिक हितों की रक्षा करेगा, बल्कि अपने व्यापारिक साझेदारों पर भी भारी पड़ेगा. 


ट्रंप का कहना है कि यह दिन अमेरिका के लिए आर्थिक मुक्ति का दिन होगा और वह किसी को भी नहीं छोड़ेंगे, चाहे वह उनका दोस्त हो या दुश्मन. ऐसे में भारत और कनाडा जैसे देशों के लिए यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या उन्हें भी इस नई टैरिफ़ नीति का सामना करना पड़ेगा?


सबसे पहले समझते हैं क्या है लिबरेशन डे


अमेरिका का 'लिबरेशन डे' एक खास दिन है, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2 अप्रैल को नई टैरिफ नीतियों का ऐलान करेंगे. ट्रंप का कहना है कि यह दिन अमेरिका के लिए 'आर्थिक स्वतंत्रता' का दिन होगा, जिसमें वह उन देशों से बदला लेंगे जिन्होंने अमेरिका के सामान पर ज्यादा टैक्स (टैरिफ़) लगाया है. इसका मतलब है कि अमेरिका अब उन देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाएगा, ताकि वे भी अमेरिका पर वही टैरिफ लागू करें, जो अमेरिका ने उनके लिए तय किया है. यह कदम अमेरिका को व्यापार में मजबूत बनाने के लिए उठाया जा रहा है.


क्या भारत और कनाडा पर भी पड़ सकता है टैरिफ का असर


भारत और कनाडा, दोनों ही अमेरिका के महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार देश हैं और पिछले कुछ सालों में इन देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते में उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं. ट्रंप ने पहले ही चीन, यूरोपीय संघ, भारत, कनाडा और मेक्सिको जैसे देशों को 'व्यापारिक शोषक' के रूप में निशाने पर लिया है. उनका कहना है कि इन देशों ने अमेरिकी उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाकर अमेरिकी उद्योगों का नुकसान पहुंचाया है.


अब जब ट्रंप ने कहा है कि 2 अप्रैल को वह 'पारस्परिक टैरिफ' लागू करेंगे, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि भारत और कनाडा जैसे देशों को भी इस नीति का सामना करना पड़ेगा. 


अमेरिकी व्यापार को मिलेगा बढ़ावा


ट्रंप के टैरिफों का उद्देश्य अमेरिकी व्यापार को बढ़ावा देना और अमेरिका में निवेश आकर्षित करना है. उनका मानना है कि इन टैरिफों के माध्यम से अमेरिका को काफी रेवेन्यू मिलेगा, जो न केवल व्यापार घाटे को कम करेगा, बल्कि अमेरिकी उद्योगों को भी लाभ पहुंचाएगा. ट्रंप के अनुसार, यह कदम अमेरिका को दुनिया में एक मजबूत और प्रतिस्पर्धी ताकत बना सकता है.


हालांकि, ट्रंप के इस कदम से व्यापारिक साझेदार देशों में तनाव बढ़ सकता है, क्योंकि उन्हें भी जवाबी टैरिफ लगाने का अधिकार है. उदाहरण के लिए, अगर भारत और कनाडा जैसे देश अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाते हैं, तो इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों पर असर पड़ सकता है.


अर्थशास्त्रियों की चिंता


कुछ अर्थशास्त्री मानते हैं कि ट्रंप के टैरिफों से अमेरिका की अर्थव्यवस्था को फायदा होने के बजाय नुकसान हो सकता है. इससे मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और अमेरिकी कंज्यूमर्स को महंगे उत्पादों का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा, अन्य देशों से जवाबी टैरिफ़ों का सामना भी अमेरिका को करना पड़ सकता है, जिससे अमेरिकी उद्योगों की स्थिति और खराब हो सकती है.