रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत-रूस संबंधों को विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी करार दिया है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच बहुआयामी सहयोग लंबे समय से कायम है. लावरोव ने बताया कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात चीन में एससीओ शिखर सम्मेलन (तियानजिन) के दौरान हुई थी और दिसंबर में पुतिन की नई दिल्ली यात्रा की योजना है. उन्होंने कहा कि भारत-रूस एजेंडा बहुत व्यापक है, जिसमें व्यापार, रक्षा, तकनीकी सहयोग, वित्त, स्वास्थ्य सेवा, AI, SCO और BRICS जैसे मंच शामिल हैं.


भारत पर रूसी तेल खरीदने को लेकर अमेरिका के दबाव के सवाल पर लावरोव ने कहा कि भारत-रूस आर्थिक साझेदारी खतरे में नहीं है. भारत अपने साझेदारों का चयन खुद करता है. यूएस अगर भारत-अमेरिका व्यापार बढ़ाने के लिए शर्तें रखता है तो भारत उस पर विचार करेगा, लेकिन तीसरे देश के साथ संबंधों पर निर्णय भारत का आंतरिक मामला है. उन्होंने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को तुर्किए जैसे आत्मसम्मान वाले देशों से तुलना करते हुए सराहा.


भारतीय विदेश नीति और तेल खरीद को रूसी समर्थन


भारत की ओर से रूस से तेल आयात पर पूछे गए सवाल पर लावरोव ने कहा कि रूस भारत के राष्ट्रीय हितों का पूरा सम्मान करता है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर की स्वतंत्र विदेश नीति की सराहना की. लावरोव ने कहा, ''भारत पूरी तरह सक्षम है यह तय करने के लिए कि वह किससे क्या खरीदे. अगर अमेरिका भारत को तेल बेचना चाहता है तो भारत शर्तों पर चर्चा कर सकता है, लेकिन यह उसका संप्रभु फैसला है कि वह किस देश से क्या खरीदे." उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों का भारत-रूस साझेदारी से कोई टकराव नहीं है.


विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का महत्व


लावरोव ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध सामान्य साझेदारी नहीं हैं, बल्कि यह विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी" है. उन्होंने यह भी बताया कि भारत और रूस के बीच नियमित आदान-प्रदान होता रहता है और विदेश मंत्री जयशंकर इस वर्ष रूस की यात्रा करेंगे, वहीं वह स्वयं भारत का दौरा करेंगे.


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