भारत ने संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली से वॉकआउट किया क्योंकि पाकिस्तान ने न सिर्फ भारत के खिलाफ जहर उगला बल्कि यह भी स्वीकार किया कि वो आतंकवाद का गढ़ है. शनिवार (28 सितंबर, 2025) को पाकिस्तान ने ये भी माना कि वह वैश्विक आतंकवाद का केंद्र था.


आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जनरल असेंबली से अपील करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत को आजादी के बाद से ही यह चुनौती झेलनी पड़ी है, क्योंकि उसका पड़ोसी देश वैश्विक आतंकवाद का केंद्र रहा है. उन्होंने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन यह एक जाल था और पाकिस्तान उसमें फंस गया.


पाकिस्तान के मोहम्मद राशिद ने क्या कहा


यूएन मिशन में दूसरे सेक्रेटरी मोहम्मद राशिद ने जयशंकर के भाषण पर जवाब देते हुए कहा कि यह पाकिस्तान की छवि खराब करने की कोशिश थी. इस पर भारत ने तुरंत पलटवार करते हुए उसे उसके अपने ही बयानों के जाल में फंसा दिया. भारत के संयुक्त राष्ट्र मिशन में दूसरे सचिव रेंटला श्रीनिवास ने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि जिस पड़ोसी देश का नाम नहीं लिया गया, उसने भी इस पर प्रतिक्रिया दी और सीमा पार आतंकवाद की अपनी पुरानी नीति को स्वीकार किया."


उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की छवि सबके सामने है. आतंकवाद के निशान इतने साफ हैं कि यह कई देशों में दिखते हैं. यह न सिर्फ पड़ोसियों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा है. उन्होंने आगे कहा कि कोई तर्क या झूठ 'आतंकिस्तान' के अपराधों को छिपा नहीं सकता. राशिद गुस्से में लौटा और स्वीकार किया कि पाकिस्तान टेररिस्तान है. 'टेररिस्तान' शब्द के इस्तेमाल का विरोध करते हुए, राशिद ने कहा कि भारत एक देश के नाम को, जो संयुक्त राष्ट्र का सदस्य है, विकृत कर रहा है.


भारत ने किया वॉकआउट 


राशिद के बोलते समय भारत ने सभा कक्ष से वॉकआउट कर दिया. संयुक्त राष्ट्र में यह आम बात है कि देश तब तक जवाब देने का अधिकार नहीं इस्तेमाल करते, जब तक उनका नाम स्पष्ट रूप से न लिया जाए, भले ही उनके बारे में इशारों या सूक्ष्म संकेतों से बात की जाए. सार्वजनिक रूप से गुस्से में प्रतिक्रिया देना यह स्वीकार करने जैसा है कि उनके खिलाफ ही कोई आरोप या अप्रिय टिप्पणी की गई थी.


एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर साधा निशाना


अपने भाषण में जयशंकर ने कहा कि दशकों से बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी हमलों का संबंध एक ही देश से जोड़ा जाता है. संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में उस देश के नागरिकों के नाम भरे पड़े हैं. उन्होंने संकेत देते हुए कहा कि हाल ही में अप्रैल में पहलगाम में हुए निर्दोष पर्यटकों की हत्या सीमा पार की बर्बरता का उदाहरण है.


'ऑपरेशन सिंदूर' का नाम लिए बिना उसका बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने अपने लोगों को आतंकवाद से बचाने का अधिकार इस्तेमाल किया और इसके आयोजकों व अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया. आतंकवाद एक साझा खतरा है, इसलिए इसके खिलाफ गहरे अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है. उन्होंने चेतावनी दी कि जो देश आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों का समर्थन करते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि यह उनके लिए भी खतरनाक साबित होगा.


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