टेस्ट क्रिकेट को अगर धैर्य, एकाग्रता और तकनीक का सबसे बड़ा मंच कहा जाए तो गलत नहीं होगा. यहां सिर्फ रन बनाना ही लक्ष्य नहीं होता, बल्कि लंबे समय तक क्रीज पर टिककर टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाना भी उतना ही जरूरी होता है. इसी धैर्य की मिसाल हैं टेस्ट क्रिकेट में बने सबसे धीमे शतक, जिन्हें आज भी क्रिकेट इतिहास में अलग सम्मान के साथ याद किया जाता है.
मुदस्सर नजर - पाकिस्तान
इस सूची में सबसे ऊपर हैं पाकिस्तान के मुदस्सर नजर, जिन्होंने 1977-78 में लाहौर में इंग्लैंड के खिलाफ 557 मिनट में शतक पूरा किया. यह सिर्फ धीमी बल्लेबाजी नहीं थी, बल्कि मुश्किल हालात में टीम को बचाने का एक बड़ा उदाहरण था. उनकी यह पारी आज भी टेस्ट इतिहास का सबसे धीमा शतक माना जाता है.
जैकी मैकग्ल्यू - साउथ अफ्रीका
दूसरे नंबर पर हैं साउथ अफ्रीका के जैकी मैकग्ल्यू, जिन्होंने 1957-58 में डरबन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 545 मिनट में शतक जड़ा था. उस दौर में गेंदबाजी बेहद चुनौतीपूर्ण होती थी और पिचें भी बल्लेबाजों के लिए ज्यादा मददगार नही थी. ऐसे माहौल में मैकग्ल्यू की यह पारी काफी चर्चित रही थी.
असांका गुरुसिंहा - श्रीलंका
तीसरे स्थान पर आते हैं श्रीलंका के असांका गुरुसिंहा, जिन्होंने 1994-95 में हरारे में जिम्बाब्वे के खिलाफ 535 मिनट में शतक पूरा किया था. यह पारी बेहद रणनीतिक थी, क्योंकि उस मैच में श्रीलंका की प्राथमिकता हार से बचना थी, और गुरुसिंहा ने उसी के अनुसार खेलते हुए समय खर्च किया.
जेफ क्रो – न्यूजीलैंड
न्यूज़ीलैंड के जेफ क्रो ने 1986-87 में कोलंबो टेस्ट में श्रीलंका के खिलाफ 516 मिनट में शतक बनाया. यह पारी दर्शाती है कि कैसे शांत दिमाग और सही तकनीक लंबे समय तक गेंदबाजों को परेशान रख सकती है.
संजय मांजरेकर - भारत
भारत के संजय मांजरेकर ने 1992-93 में हरारे में 500 मिनट की ब्लॉकथॉन पारी खेलकर शतक पूरा किया. कठिन पिच, धीमी आउटफील्ड और कसे हुए बॉलिंग अटैक के बावजूद मांजरेकर का यह शतक भारतीय क्रिकेट की क्लासिक पारियों में गिना जाता है.
इंग्लैंड के 2 दिग्गज भी लिस्ट में
इंग्लैंड के पीटर रिचर्डसन (488 मिनट, 1956-57) और कीथ फ्लेचर (458 मिनट, 1974) भी इस रिकॉर्ड लिस्ट में जगह रखते हैं. दोनों ने ऐसे मैचों में धीमी पारी खेली, जहां टीम का लक्ष्य रन जुटाने से ज्यादा क्रीज पर टिके रहना था.
