सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 सितंबर, 2025) को अहमदाबाद एअर इंडिया प्लेन क्रैश की जांच रिपोर्ट के चुनिंदा हिस्से को प्रकाशित करके हादसे के लिए पायलट की गलती को हाइलाइट करने पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने यह टिप्पणी उस जनहित याचिका पर की है, जिसमें हादसे की निष्पक्ष जांच की मांग की गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि शुरुआती जांच रिपोर्ट के सिर्फ चुनिंदा हिस्से को जारी किया गया. तकनीकी और मशीनी कमियों को नजरअंदाज कर सिर्फ पायलट की गलती को सामने लाया गया. कोर्ट ने कहा है कि जांच अभी पूरी नहीं हुई है इसलिए जरूरी है कि पूर्ण गोपनीयता बनाई रखी जाए.
12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रहे एअर इंडिया का विमान टेक ऑफ करने के कुछ देर बाद ही क्रैश हो गया था. इस हादसे में एक यात्री को छोड़कर बाकी सभी 241 लोगों की मौत हो गई थी और विमान एक मेडिकल कॉलेज की मेस पर गिरा था, जिसकी वजह से 19 और लोगों की भी जान चली गई थी. विमान में 169 भारतीय, 52 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली, 1 कनाडाई और चालक दल के 12 सदस्य सवार थे. इस हादसे में जीवित बचने वाले एकमात्र व्यक्ति विश्वासकुमार रमेश हैं, जो एक ब्रिटिश नागरिक हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार जांच रिपोर्ट में विमान के पायलट्स कैप्टन सुमित सबरवाल और क्लीव कुंदर की बातचीत का जिक्र है. रिपोर्ट में बताया गया कि कॉकपिट की ऑडियो में सुना गया कि एक पायलट ने कहा, 'फ्यूल क्यों कट-ऑफ किया?' दूसरा पायलट जवाब में कहता है, 'मैंने नहीं किया.' रिपोर्ट में कहा गया कि इससे ऐसा लगता है कि पायलट की गलती की वजह से ये हादसा हुआ.
कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर एअर इंडिया विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्वतंत्र, निष्पक्ष और त्वरित जांच की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि वायुयान दुर्घटना अन्वेषण ब्यूरो (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट की गलती की ओर इशारा करने वाले कुछ पहलू गैर-जिम्मेदाराना हैं. कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और नागर विमानन महानिदेशक को नोटिस जारी किया है. हालांकि, कोर्ट ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की याचिकाकर्ता की मांग मानने से इनकार दिया है. कोर्ट ने कहा कि मान लीजिए कि कल को रिपोर्ट में कहा गया कि कोई एक पायलट हादसे के लिए जिम्मेदार थे, तो उनके परिवार के सामने परेशानी खड़ी हो जाएगी.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने 12 जुलाई को जारी एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट के कुछ पहलुओं पर गौर किया. गैर-सरकारी संगठन सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि दुर्घटना के बाद गठित जांच कमेटी में तीन सदस्य विमानन नियामक से थे और इसमें हितों के टकराव की आशंका हो सकती है.
उन्होंने विमान के फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर की जानकारी जारी करने का अनुरोध किया ताकि दुर्घटना के कारणों का पता चल सके. बेंच ने कहा कि इस मामले में गोपनीयता, निजता और गरिमा से जुड़े पहलू हैं इसलिए अंतिम रिपोर्ट पर ही ध्यान दिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने आगाह किया कि कुछ विशेष प्रकार की जानकारी जारी करने से दूसरी एयरलाइंस गलत फायदा उठा सकती हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि वे केवल दुर्घटना की स्वतंत्र, निष्पक्ष और त्वरित जांच के सीमित पहलू पर नोटिस जारी कर रहा है.
कैप्टन अमित सिंह के नेतृत्व वाले विमानन सुरक्षा एनजीओ कॉन्स्टिट्यूशन बाय सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन की ओर से यह याचिका दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि आधिकारिक जांच नागरिकों के जीवन, समानता और असल जानकारी तक पहुंच के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है. याचिका में कहा गया है कि एएआईबी ने 12 जुलाई को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में हादसे का कारण फ्यूल कटऑफ स्विच को रन से कटऑफ स्थिति में बदलना बताया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह पायलट की गलती थी.
इसमें आरोप लगाया गया है कि रिपोर्ट में महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाया गया है, जिसमें पूर्ण डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर आउटपुट, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर ट्रांसक्रिप्ट और इलेक्ट्रॉनिक एअरक्राफ्ट फॉल्ट रिकॉर्डिंग डेटा शामिल हैं. याचिका के अनुसार, इन जानकारियों के बिना दुर्घटना की पारदर्शी और निष्पक्ष समझ संभव नहीं है.
