सुप्रीम कोर्ट ने केरल के दो छात्रों के साथ मारपीट की हालिया घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए मंगलवार (11 नवंबर, 2025) को कहा, 'हमारा देश एक है.'


इस घटना में लाल किले के पास केरल के दो छात्रों से कथित तौर पर पुलिस और स्थानीय लोगों ने मारपीट की, उन्हें हिंदी बोलने के लिए मजबूर किया और राज्य की पारंपरिक पोशाक पहनने के लिए उनका उपहास किया.


जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की पीठ ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि इस देश में लोगों को सांस्कृतिक और नस्लीय मतभेदों के कारण निशाना बनाया जाता है. दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज के प्रथम वर्ष के दो छात्रों पर कथित तौर पर हमला किया गया, उन्हें हिंदी बोलने के लिए ‘मजबूर’ किया गया और ‘लुंगी’ पहनने के लिए उनका उपहास किया गया.


सुप्रीम कोर्ट 2015 में पूर्वोत्तर के लोगों पर हुए कई हमलों के मद्देनजर दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसमें दिल्ली में अरुणाचल प्रदेश के एक छात्र नीडो तानिया की मौत की घटना भी शामिल है. अदालत ने केंद्र को इस मामले में एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था और कहा था कि समिति को नस्लीय भेदभाव, नस्लीय अत्याचार और नस्लीय हिंसा की घटनाओं में सख्त कार्रवाई करने के अधिकार दिए जाएंगे, और इस तरह के घृणा और नस्लीय अपराधों को रोकने के उपाय सुझाए जाएंगे.


मंगलवार की सुनवाई के दौरान, केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने दलील दी कि एक निगरानी समिति पहले ही गठित की जा चुकी है और याचिका में कुछ भी शेष नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने इस दलील का विरोध किया और तर्क दिया कि पूर्वोत्तर के लोगों के साथ नस्लीय भेदभाव और बहिष्कार की घटनाएं लगातार हो रही हैं.


इसके बाद पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा, 'हमने हाल में अखबार में पढ़ा कि केरल के एक व्यक्ति का दिल्ली में लुंगी पहनने पर मज़ाक उड़ाया गया. यह ऐसे देश में अस्वीकार्य है जहां लोग सद्भाव से रहते हैं. आपको इस बारे में ज्यादा चिंतित होना चाहिए. हम एक देश हैं.'


याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष अदालत से कहा कि निगरानी समिति की बैठक हर तिमाही होनी चाहिए लेकिन नौ साल में केवल 14 बार उसकी बैठक हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने अब याचिकाकर्ता से केंद्र द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट पर जवाब दाखिल करने को कहा है.