तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के मूसारबाग इलाके में शनिवार दोपहर भाजपा नेताओं ने पिछड़े वर्ग (बीसी) आरक्षण को तत्काल लागू करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी का पुतला जलाया. यह प्रदर्शन मुख्य सड़क पर आयोजित किया गया, जहां सैकड़ों कार्यकर्ता इकट्ठा हुए. 


नारेबाजी के बीच पुतले को आग लगाते ही माहौल तनावपूर्ण हो गया. स्थानीय पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रमुख नेताओं को हिरासत में ले लिया. घटना से इलाके में हलचल मच गई, और विपक्षी दलों ने इसे 'लोकतंत्र पर हमला' करार दिया.


बीआरएसएलवी के नेतृत्व में प्रदर्शन
प्रदर्शन का नेतृत्व बैकवर्ड सोशल लॉजिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन (बीआरएसएलवी) के अध्यक्ष गेल्लू श्रीनिवास यादव ने किया. यादव ने आरोप लगाया कि राज्य कैबिनेट द्वारा हाल ही में पारित 42 प्रतिशत बीसी आरक्षण अध्यादेश कानूनी रूप से कमजोर है. 


उन्होंने कहा, "यह अध्यादेश विधानसभा बहस और राष्ट्रपति की मंजूरी के बिना लागू नहीं हो सकता. अदालतें इसे रद्द कर देंगी, और पिछड़े वर्गों का भरोसा टूटेगा. सरकार छलावा कर रही है." 






प्रदर्शनकारियों ने तेलंगाना थल्लि मूर्ति पर कांग्रेस के बदलावों, कलेस्वरम परियोजना की अनदेखी और अन्य वादाखिलाफी पर भी निशाना साधा.


पुलिस ने किया बल प्रयोग, कुछ प्रदर्शनकारी गिरफ्तार


उन्होंने बैनर और पोस्टर लहराते हुए 'आरक्षण दो, अन्याय मत करो' के नारे लगाए. श्रीनिवास यादव ने पुतला जलाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें घसीटते हुए रोका. वीडियो फुटेज में दिखा कि अधिकारी बल प्रयोग करते हुए 15-20 नेताओं को वैन में ठूंस लिया गया. गिरफ्तारियों में बीआरएसएलवी के स्थानीय समन्वयक रवि कुमार और युवा विंग के अध्यक्ष साईं रेड्डी भी शामिल हैं. पुलिस ने धारा 144 के उल्लंघन और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए. सभी को नजदीकी थाने ले जाया गया, जहां रात तक पूछताछ चली.






भाजपा बोली- पिछड़ों के साथ धोखा


यह घटना बीसी आरक्षण विवाद की आग को हवा दे रही है. फरवरी 2024 में विधानसभा ने शिक्षा, नौकरियों और स्थानीय निकायों में 42 प्रतिशत आरक्षण के लिए दो विधेयक पारित किए थे, लेकिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी लंबित है. 


अगस्त 2025 में सीएम रेवंत रेड्डी ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया, जहां उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों जी. किशन रेड्डी और बंडी संजय कुमार पर 'आरक्षण रोकने' का आरोप लगाया. लेकिन विपक्ष का कहना है कि राज्य सरकार ने उचित प्रक्रिया अपनाई ही नहीं. 






भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एन. रामचंद्र राव ने गिरफ्तारियों की निंदा करते हुए कहा, "कांग्रेस पिछड़ों को धोखा दे रही है. हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे." 


बीआरएस नेता के.टी. रामाराव ने भी सोशल मीडिया पर समर्थन जताया, "आरक्षण का वादा पूरा न करने पर कांग्रेस को सबक सिखाना होगा."


राज्य सरकार ने कोई बयान नहीं दिया


राज्य सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया, लेकिन सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने 'शांति बनाए रखने' के निर्देश दिए हैं. यह प्रदर्शन तेलंगाना की राजनीति में उबाल ला सकता है, खासकर जब जिला परिषद चुनाव नजदीक आ रहे हैं. बीसी समुदाय, जो राज्य की 50 प्रतिशत आबादी है, का गुस्सा चुनावी समीकरण बदल सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि अध्यादेश को मजबूत बनाने के लिए विधानसभा सत्र बुलाना जरूरी है, वरना अदालती चुनौतियां बढ़ेंगी.