क्या पितृ पक्ष में कार (Car Booking) या नया घर (Property) बुक कराया जा सकता है? लाखों लोगों के मन में हर साल यही सवाल उठता है. एक ओर परंपरा कहती है कि इस काल में कोई नया मांगलिक कार्य न करें.


दूसरी ओर, मॉडर्न लाइफस्टाइल और रियल एस्टेट (Real Estate), ऑटो सेक्टर (Auto Sector) की स्कीमें इस समय बुकिंग के लिए लुभाती हैं. तो क्या सचमुच पितृ पक्ष में कार (Car) या प्रॉपर्टी (Property) की बुकिंग अशुभ है? शास्त्रों के अनुसार इसका उत्तर आपके सोच से बिल्कुल अलग है.


पितृ पक्ष का महत्व और क्यों माना जाता है इसे अशुभ काल


पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) को 16 दिनों का ऐसा समय बताया गया है जब पितरों की आत्मा को तर्पण, दान और श्राद्ध से संतुष्ट किया जाता है. मनुस्मृति कहती है कि श्राद्धकाल में देवकार्य न करें, केवल पितृकार्य करें.


गरुड़ पुराण में भी इसका उल्लेख मिलता है कि इस समय विवाह, गृहप्रवेश, यज्ञ, व्रत आदि नए कार्य निषिद्ध हैं. इसका तात्पर्य यह है कि यह काल नए मांगलिक कार्यों के लिए नहीं, बल्कि पूर्वजों की शांति के लिए समर्पित है.


तो क्या बुकिंग भी अशुभ है? शास्त्र से जानें


शास्त्रों की मानें तो नए कार्य की शुरुआत जैसे रजिस्ट्री, गृहप्रवेश और वाहन की डिलीवरी को निषिद्ध माना गया है. सिर्फ बुकिंग या एडवांस पेमेंट जैसे Token देना, Allotment करना शास्त्रों में इसका प्रत्यक्ष निषेध नहीं.


इसका कारण है कि बुकिंग केवल एक सहमति होती है, असली स्वामित्व और उपयोग श्राद्ध पक्ष के बाद होता है. कई विद्वान इसे व्यावहारिक कार्य मानकर अनुमति देते हैं, लेकिन सलाह देते हैं कि अंतिम क्रिया पितृ पक्ष के बाद ही करें. प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीमाली का भी मत यही है.


धर्मसिंधु और निर्णयसिंधु का दृष्टिकोण


धर्मसिंधु में लिखा है कि पितृ पक्ष में यज्ञ, विवाह और नूतन कार्य त्याज्य हैं. निर्णयसिंधु भी यही कहता है कि मांगलिक कार्य वर्जित हैं. लेकिन व्यावहारिक कार्य जैसे ऋण चुकाना, पुराने सौदे पूरे करना, बुकिंग या ऐसे कार्यों का स्पष्ट निषेध नहीं है.


आधुनिक मत- कार या प्रॉपर्टी की बुकिंग क्यों होती है इस समय?


रियल एस्टेट कंपनियां पितृ पक्ष और नवरात्रि के बीच ऑफर लॉन्च करती हैं. ऑटो कंपनियां एडवांस स्कीमें चलाती हैं ताकि डिलीवरी नवरात्रि या दशहरा पर दी जा सके. खरीदार भी सोचते हैं कि बुकिंग अभी, डिलीवरी शुभ मुहूर्त में लें, इससे व्यावहारिक और धार्मिक दोनों दृष्टि सुरक्षित रहते हैं.


शास्त्र सम्मत उपाय – अगर पितृ पक्ष में बुकिंग करनी ही पड़े


यदि आपको इस समय बुकिंग करनी ही पड़े तो शास्त्रों के अनुसार बुकिंग से पहले पितरों का स्मरण करें और जल व तिल तर्पण करें. मन ही मन प्रार्थना करें पितृदेव प्रसन्न हों, यह सौदा सभी के कल्याण का कारण बने. डिलीवरी या रजिस्ट्री सर्वपितृ अमावस्या के बाद करें. चाहें तो बुकिंग राशि देते समय एक रुपया दान और जल अर्पित कर लें.


शास्त्रीय प्रमाण और तर्क


गरुड़ पुराण के अनुसार श्राद्धकाल में मांगलिक कर्मों का त्याग करना चाहिए. मनुस्मृति कहती है कि पितृ पक्ष केवल पितरों की तृप्ति के लिए है, अन्य किसी देवकार्य के लिए नहीं.


आधुनिक पंडितों की राय है कि बुकिंग यानी जो केवल भविष्य की तैयारी है अशुभ नहीं, लेकिन स्वामित्व ग्रहण अर्थात डिलीवरी या रजिस्ट्री पितृ पक्ष के बाद ही करें.


पितृ पक्ष समाप्ति और शुभ मुहूर्त


इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या के बाद से ही मांगलिक कार्य प्रारंभ होंगे. नवरात्रि से लेकर दिवाली तक का समय प्रॉपर्टी खरीद और वाहन ग्रहण के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इसलिए यदि आपने पितृ पक्ष में बुकिंग की है तो डिलीवरी इन शुभ तिथियों पर कराएं.


कॉर्पोरेट और रियल एस्टेट की दृष्टि से संकेत


कंपनियां जानबूझकर पितृ पक्ष में बुकिंग ऑफर निकालती हैं ताकि शुभ नवरात्रि पर डिलीवरी की लहर आ सके. इसका एक मनोवैज्ञानिक पहलू भी है लोग नवरात्रि (Navratri), दशहरा (Dussehra) और दीवाली (Diwali) को शुभ मानते हैं, और इस समय नए घर या कार खरीदना करना चाहते हैं. शास्त्र और कॉर्पोरेट मॉडल यहां मिलते हैं कि बुकिंग अभी, डिलीवरी बाद में.


पितृ पक्ष में कार (Car) या प्रॉपर्टी की डिलीवरी, रजिस्ट्री, गृहप्रवेश निषिद्ध है. केवल बुकिंग या एडवांस टोकन देना शास्त्रसम्मत रूप से वर्जित नहीं है, क्योंकि वास्तविक स्वामित्व बाद में आता है. बेहतर यही होगा कि आप बुकिंग करें तो भी अंतिम चरण सर्वपितृ अमावस्या के बाद ही पूरा करें.


FAQ


Q1. क्या पितृ पक्ष में नया वाहन खरीदना चाहिए?
नहीं, शास्त्रों के अनुसार यह अशुभ माना जाता है. डिलीवरी पितृ पक्ष के बाद करें.


Q2. क्या केवल बुकिंग करना ठीक है?
हां, बुकिंग मात्र पर शास्त्रों में निषेध नहीं है, बशर्ते डिलीवरी बाद में हो.


Q3. क्या पितृ पक्ष में गृहप्रवेश हो सकता है?
नहीं, गृहप्रवेश श्राद्ध पक्ष में वर्जित है.


Q4. पितृ पक्ष में कौन से कार्य वर्जित हैं?
विवाह, गृहप्रवेश, यज्ञ, नूतन वस्तु ग्रहण, वाहन/प्रॉपर्टी डिलीवरी आदि.


Q5. इस दौरान कौन से कार्य शुभ हैं?
श्राद्ध, तर्पण, दान, पितरों का स्मरण और पूजा-पाठ.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.