अमेरिका द्वारा H-1B वीजा पर हर साल 1 लाख डॉलर फीस लगाने के फैसले पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि इस कदम के 'मानवीय असर' पड़ सकते हैं, खासकर उन परिवारों पर जिनकी ज़िंदगी इससे जुड़ी हुई है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि सरकार इस फैसले के असर का अध्ययन कर रही है. इसमें भारतीय उद्योग जगत भी शामिल है, जिसने पहले ही इस पर शुरुआती विश्लेषण पेश किया है और H-1B वीजा को लेकर कई भ्रांतियों को साफ किया है.
इनोवेशन और प्रतिभा पर असर की चिंता
मंत्रालय ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों ही इनोवेशन और रचनात्मकता में साझेदार हैं. इसलिए उम्मीद है कि दोनों देश आगे के रास्ते पर मिलकर चर्चा करेंगे. भारत ने यह भी कहा कि कुशल पेशेवरों का आना-जाना तकनीकी विकास, इनोवेशन, आर्थिक वृद्धि और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में अहम योगदान देता है.
Our statement regarding restrictions to the US H1B visa program⬇️
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— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) September 20, 2025
मानवीय संकट का खतरा
विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी कि इतनी भारी फीस से परिवारों पर गंभीर असर होगा. बहुत से लोग अमेरिका में अपने परिवारों के साथ बसे हैं और यह फैसला उनकी ज़िंदगी में बड़ी मुश्किलें ला सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को यह नया आदेश जारी किया, जिसके तहत अब H-1B वीजा की सालाना फीस 1 लाख डॉलर होगी. यह कदम अमेरिका की कड़ी इमिग्रेशन पॉलिसी का हिस्सा बताया जा रहा है.
भारत पर सबसे बड़ा असर
भारत के नागरिकों पर इस फैसले का सबसे ज्यादा असर होगा क्योंकि H-1B वीजा धारकों में 71% भारतीय हैं. फिलहाल करीब 3 लाख भारतीय प्रोफेशनल्स अमेरिका में H-1B वीजा पर काम कर रहे हैं, जिनमें अधिकतर IT सेक्टर से जुड़े हैं.
वीजा प्रोग्राम खत्म करने जैसा कदम
एक विश्लेषण के मुताबिक, यह फैसला H-1B वीजा प्रोग्राम को लगभग खत्म कर देगा. नई फीस एक नए H-1B वीजा धारक की औसत सालाना सैलरी से भी  ज्यादा है और मौजूदा वीजा धारकों की 80% औसत आय के करीब है.

 
             
                     
                                             
                                             
         
                     
                    