भारत सरकार ने Rare Earth Permanent Magnets की घरेलू उत्पादन क्षमता बढ़ाने और चीन पर निर्भरता कम करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। कैबिनेट ने 7,280 करोड़ रुपये की Rare Earth Manufacturing Incentive Scheme को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत अगले सात वर्षों में 6,000 MTPA की उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसमें 1,200 MTPA की पांच यूनिट बनाई जाएँगी और अगले दो से तीन वर्षों के भीतर उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। यह योजना EVs, रक्षा, विंड टर्बाइन्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और एयरोस्पेस जैसे उच्च तकनीकी क्षेत्रों के लिए Made-in-India सप्लाई चेन तैयार करने पर केंद्रित है। वर्तमान में भारत लगभग पूरा REPM आयात करता है और बड़े पैमाने पर चीन पर निर्भर है। नई योजना को इसलिए गेम-चेंजर माना जा रहा है क्योंकि यह देश की पहली एकीकृत REPM मैन्युफैक्चरिंग चेन स्थापित करेगी, जिससे तकनीक, रोजगार और रणनीतिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। GMDC, Sona Comstar, Bharat Forge और JSW Group जैसे बड़े उद्योग समूह इस क्षेत्र में रुचि दिखा चुके हैं और रेयर अर्थ माइनिंग, प्रोसेसिंग और मैग्नेट मैन्युफैक्चरिंग में निवेश योजनाओं पर काम कर रहे हैं। साथ ही सरकार ने मांग पूरी करने के लिए कुछ कंपनियों को import licences भी दिए हैं, जब तक कि घरेलू उत्पादन बड़े स्तर पर शुरू नहीं हो जाता। इस विकास के बाद GMDC, Sona BLW Precision, Bharat Forge और JSW Steel जैसे स्टॉक्स संभावित लाभार्थियों के रूप में निवेशकों के ध्यान में आ रहे हैं। यह योजना भारत को एक Critical Mineral Powerhouse बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है और इससे जुड़े सेक्टर्स में पूंजी प्रवाह बढ़ने की संभावना भी मजबूत हो गई है।
भारत की ₹7,280 करोड़ की रेयर अर्थ स्कीम: EV – डिफेंस सेक्टर के लिए एक बड़ा गेम चेंजर
