शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है लेकिन आज के समय में ये अधिकार सुविधा महज बनकर ही रह गया है. आज के टाइम पर सभी पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चों का एडमिशन अच्छे से अच्छे स्कूल में हो. इसके लिए वह हर संभव प्रयास भी करते हैं लेकिन आज के टाइम पर बच्चों के स्कूल की फीस का बोझ उनके पेरेंट्स पर इतना भारी हो गया है कि अब उनका कंधा झुकने लगा है. लेकिन सवाल लाड़लों के भविष्य का है तो अभिवावक बेहतर से बेहतर कोशिश करते हैं.


हाल ही में स्कूलों की फीस को लेकर देश भर में मानों आंदोलन चल रहा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पेरेंट्स और संगठनों ने निजी स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी को लेकर आंदोलन चल रहा है. किन्हीं जगहों पर तो लोग अधिकारियों से मिल रहे हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि सरकारी और प्राइवेट स्कूलों की फीस में कितना अंतर है.


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सरकारी स्कूलों में पूरी पढ़ाई जितनी कीमत, प्राइवेट में उतनी सिर्फ किताबों की


यदि सरकारी स्कूलों की बात करें तो ज्यादा स्कूलों में शिक्षा निशुल्क ही है. अगर किन्हीं स्कूलों में फीस जा भी रही है तो साल के 1200 -1300 रुपये ही फीस जाती है. इसके अलावा किताबों और कॉपियों का खर्चा अगर कुल मिलाकर बात की जाए तो यूपी के सरकारी स्कूलों में 12वीं क्लास की पढ़ाई का कुल खर्च 2000-2500 रुपये के आसपास होगा. वहीं, इसके उल्ट जब प्राइवेट स्कूलों की बात करें तो कितने में सरकारी स्कूल में बच्चा पूरे साल पढ़ ले, उससे ज्यादा की तो किताबें ही आ जाती हैं.


निजी स्कूलों में एडमिशन बना आम परिवार की जेब पर हमला


निजी स्कूलों ने आम लोगों को शिक्षा के नाम पर लूटने का ऐसा फार्मूला निकाला है कि पहली क्लास में ही बच्चे का दाखिला कराने का मतलब है लाखों रुपये. यूपी के आगरा में स्थित एक निजी स्कूल में पहली क्लास में पढ़ने वाले बच्चों की किताबें ही 3500 रुपये की आ रही हैं. जरा सोचिए जब किताबें ही 3500 की हैं तो स्कूल की फीस कितनी होगी? ऐसे स्कूल पहली क्लास में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक से महीने के चार से पांच हजार रुपये वसूलते हैं. इसके अलावा एडमिशन के नाम पर अलग मोटा पैसा लिया जाता है.


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क्वाटर्ली फीस से लेकर एग्जाम चार्ज तक, हर कदम पर खर्च


उधर, दिल्ली में स्थित एक नामी स्कूल की बात करें तो ये स्कूल रजिस्ट्रेशन फीस के 1500 रुपये, एडमिशन फीस के 75 हजार रुपये लेता है. इतना ही नहीं स्कूल में क्वाटर्ली अलग-अलग क्लास के बच्चों के लिए अलग-अलग फीस हैं. साथ ही एग्जाम फीस भी अलग से रखी गई है. दिल्ली का ये स्कूल क्वाटर्ली फीस के नाम पर 40 हजार से 45 हजार रुपये वसूल रहा है.


हर साल बदले जा रहे सिलेबस, बढ़ रही परेशानी


अगर आप अपने बच्चे को खुद स्कूल ड्राप करते हैं तो ठीक हैं नहीं तो निजी स्कूल कुछ ही दूरी के 2000-3000 रुपये महीने या उससे ज्यादा वसूलते हैं. रिपोर्ट्स बताती हैं कि हर साल सिलेबस बदलकर अविभावकों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि निजी स्कूल संचालक प्राइवेट राइटरो से मोटा कमीशन लेकर राइटरों के नाम बदलकर अभिभावकों को हर वर्ष कोर्स खरीदने पर मजबूर करते हैं.


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